यह
साधना एक तिव्र बीज साधना है,इस साधना कि माध्यम से शरीर मे शक्ति कि
स्थापना होती है.ज्यो हमें साधना सिद्धि कि लिये महत्वपूर्ण है.साधना काल
मे बहोत सारि अनुभुतिया होति है.जैसे आज्ञा चक्र जाग्रन होना या फिर गरम
होना,शरिर मे गर्मि बढ जाना,बहोत ज्यादा प्यास लगना या भुक लगना,सर मे दर्द
होना या फिर सर मे भारीपन लगना( जैसे शक्तीपात प्राप्ति के बाद लगता है
).शरीर मे एक प्रकार कि दिव्यता कि अनुभूति होति है. और 21 दिन बाद कुछ
दिव्य विभूतियो और देवि / देवताओ कि दर्शन प्रप्ति भि होति है.और कुछ साधको
ने इसि साधना से सद्गुरुजी कि दर्शन प्रप्ति कि है.यह साधना अपने आपमे
पूर्ण चैतन्य साधना है ज्यो अपनी तिव्रता से साधको कि साधनाओमे प्रगति
दिलाती है.इस साधना मे और भी बहोत सारि अनुभूतिया होति है ज्यो आपको साधना
सम्पन्न करने के बाद महसुस करनि है...............
विधी .
सर्वप्रथम गुरुपादुका पूजन सम्पन्न किजिये और गुरुमंत्र कि 4 मालाये जाप आवश्यक है.
जय निखिलेश्वर.......................
विधी .
सर्वप्रथम गुरुपादुका पूजन सम्पन्न किजिये और गुरुमंत्र कि 4 मालाये जाप आवश्यक है.
1) ” ॐ ह्री ॐ “ मंत्र कि गुरुमंत्र मालासे जाप करनी है और आज्ञा चक्र पे ध्यान केन्द्रित करनी है.
2) “ ॐ ऐं ॐ ‘’ मंत्र कि गुरुमंत्र मालासे जाप करनी है और कंठ पे ध्यान केन्द्रित करनी है.
3) ” ॐ श्रौं ॐ “ मंत्र कि गुरुमंत्र मालासे जाप करनी है और ह्रुदय पे ध्यान केन्द्रित करनी है.
4) ” ॐ श्रीं ॐ “ मंत्र कि गुरुमंत्र मालासे जाप करनी है और नाभि पे ध्यान केन्द्रित करनी है.
इन चारो बीज मंत्रा कि जाप 1 माला करनी है और जाप करते समय आंखे बन्द
होनि चाहिये.फिर यही विधि खूलि आंखोसे करनी है और जैसे हमने अपनी शरिर पे
ध्यान केन्द्रित करते हुये पहिलि विधि कि थि ठीक उसि प्रकार यही विधि श्री
सद्गुरुजी कि दिव्य चित्र कि और देखते हुये उनकी शरीर पे ध्यान केन्द्रित
करते हुये जाप किजिये.ये दोनो विधिया होते ही चैतन्य मंत्र कि 5 मालाये
जाप करनी है.
चैतन्य मंत्र
॥ ॐ क्लीं क्रीं रोम-प्रतिरोम चैतन्यं कुरु जाग्रय जाग्रय क्रीं क्लीं ॐ फट ॥
यह साधना आप कभीभी कर सक्ते है परंतु खाली पेट ( पेट मे भूक होनि चाहिये
),और कम से कम 11 दिन करनी है .और साधना काल मे कम से कम वार्तालाप
किजिये...............................
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